Friday, October 30, 2020

जिंदगी इस कदर है खामोश क्यूँ

जिंदगी इस कदर है खामोश क्यूँ
वस्ल नहीं कोई प्यास नहीं
कहने को तो है बहुत कुछ मगर
आज वो फकत अहसास नहीं

नवाज़िश नहीं मयस्सर खुदा
रही क्या इस ज़माने में
हर सहर हूँ ढूंढता मैं
इक मोजिजा तेरे ख़ज़ाने में

रिश्तो के दरमियाँ क्या फसे
कभी तुम हँसो कभी हम हँसे
रुखसत तो ज़माने से होना है सबको
तुम ही तुम जिए तो क्या जिए


वस्ल - मिलाप

नवाज़िश - कृपा, मेहरबानी

मयस्सर - उपलब्ध होना

सहर - प्रातःकाल, सवेरा

मोजिजा - अलौकिक चमत्कार

Tuesday, October 20, 2020

नागवार गुजरती हैं

नागवार गुजरती हैं हमारी तो खिदमते भी

उनकी तो गालियां भी दुवाओ सी लगती हैं

 

हम तो जान भी दे तो परवाह नही

उनकी इक आह पे भी जान निकलती है

 

क्या करे हम मजबूर है अपनी आदत से

नज़रे फिर भी उनकी परायी सी लगती है

 

मुकम्मल होते सपनो के दरमियान

अब तो हर वाह भी शिकायत सी लगती है


Monday, October 19, 2020

राह कठिन है

राह कठिन है।
दृश्य है ओझल।।
अगले पग का।
नही है सम्भल।।
फिर भी चलते जाना है।
समय को हराना है।।

खुशी का हो या पल हो गम का।
हर पल का सम्मान करूँ।।
रुका नही जब पल खुशी का।
दुख का फिर क्यों ध्यान करूँ।।

उठूं गिरूं फिर गिरूं उठूं।
कोशिश हर नाकाम करूं।।
हार से पहले हार भला।
कैसे में स्वीकार करूँ।। 

टूट जाये विश्वास अगर तो

टूट जाये विश्वास अगर तो।
माफ़ी का कोई मोल नही।।
साथ न दुख में दे सके तो।
सुख के साथ का मोल नही।।

धागा टूटे गांठ पड़े।
फिर जुड़ने का मोल नही।।
दुख में सुमिरन ना करे तो।
फिर मिलने का मोल नही।।

टूट रहे जो धन के कारण।
उन रिश्तो का मोल नही।।
दुख में सुख में साथ रहे जो।
बस रिश्ते अनमोल वही।।

Saturday, October 17, 2020

श्री दुर्गा स्तुति

तू है सती तू है जया 
तू ही शूलधारिणी 
तुझसे ही है शक्ति शिव की  

तू ही शिव माहेश्वरी

 

तू महिषासुरमर्दिनि
तू करली काल कृपालिनी 
मुक्त करे जो सर्व बंधन से 
तू ही है वो भवमोचिनी 

हे अनंतकाल की भवप्रीता 
तू चंड मुंड विनाशिनी 
हे सर्वज्ञाता अहंकारा 
तू ही दुर्गा विंध्यवासिनी 

 

हे देवमाता दक्षकन्या 
हे भद्रकाली परमेश्वरी 
जिससे बढ़कर भव्य नहीं 
तू है अभव्या सुरसुन्दरी

 


Thursday, October 15, 2020

क्यों करूँ मैं परवाह !

क्यों करूँ मैं परवाह !
हर किसी की ज़माने में !!
खुश तो मैं इसी में हूँ की !
बेपरवाही मुझमे भी बहुत हैं !!

मुझे न फुरसत की निकालूं कमियां !
हर किसी की ज़माने में !!
मस्त तो मैं इसी में हूँ की !
कमियां मुझमे भी बहुत हैं !!

वैसे तो पड़ा है ज़माना भी !
कमियां मेरी निकालने में !!
मज़ेमें तो मैं इसी में हूँ की !
ज़माना भी है बेक़रार कामिल मुझे बनाने में !!

उम्मीद न कर मुझसे

उम्मीद न कर मुझसे !
हर वक़्त वफ़ा की !!
इंसान हूँ मैं !
कोई खुदा तो नहीं !!

तू भी इक बार !
कोशिश तो कर !!
चाहते तेरी भी मुझसे !
कोई जुदा तो नहीं !!

ज़ख्म जितने भी दे !
निशां मत छोड़ !!
हर गम छुपाने का हमे !
कोई तजुर्बा तो नहीं !!

फकत इक बार !
सोच तू ज़रा !!
शायद मैं ही वो तेरा !
कोई निगाहबां तो नहीं !!

खुशनसीब है की जिनको मिली

खुशनसीब है की जिनको मिली !
खुशियां बेहिसाब !!
मिलती है खुशियाँ भी !
हमको तो इत्तेफ़ाक़ से !!

शिकायत नहीं फिर भी मुझे !
तुझसे ऐ ज़िन्दगी !!
खुश हूँ की तूने मुझे !
दिया बड़े हिसाब से !!

चाहत नहीं की दुनिया !
की हर नियामत हो नसीब !!
बस इतनी सी चाहत है !
जिसे चाहु वो हो करीब !!

दुआ है तुझसे ऐ मेरे खुदा

दुआ है तुझसे ऐ मेरे खुदा !
ना काबिल बना इतना मुझे !!
जो न झुकू दर पे तेरी !
और भूल जाऊं खुदा तुझे !!

बदलता देख ज़माने को !
हैरत है मुझको भी !!
पूरी जो हुयी चंद दुआएं तो !
भूल गया खुदा को भी !!


जिस पल ना करूँ याद !
तुझको ऐ मेरे खुदा !!
न करना कोई रियायत !
देने में मुझे सजा !!

दस्तूर है जीने का

दस्तूर है जीने का !
तुझको ऐ ज़िन्दगी !!
फकत सांस लेना ही !
ज़िन्दगी तो नहीं !!

चलना भी पड़ता है !
मंज़िल की तरफ !!
फकत इंतज़ार से !
मंज़िले तो मिलती नहीं !!

क्या रास्ते क्या मंजिले !
क्या दस्तूर-ऐ ज़िन्दगी !!
जिए जा रहे हैं यू ही !
गलती तो उनकी भी नहीं !!

Tuesday, October 13, 2020

मुश्किल बहुत है पार करना

मुश्किल बहुत है पार करना !
समुन्दर को तैर के !!
आसां बहुत है बात करना !
किनारे पे बैठ के !!

लड़ के जीता हरदम वही !
हार ना जिसने मानी कभी !!
हौसला जो रखते नहीं !
जीता नहीं करते कभी !!

जो करनी है मंजिले हासिल !
खुद पे तू भरोसा तो कर !!
बन जायेंगे रास्ते खुद बा खुद !
चलने का आगाज़ तो कर !!

आएँगी तो मुश्किलें बहुत !
मंजिलो की राह में !!
करेगी दुनिया कोशिश बहुत !!
करने की गुमराह तुझे !!

हासिल होगी मंजिल तुझे !
गर भूल सका दुनिया को तू !!
होगा ये मुमकिन तभी !
जो देखेगा सिर्फ मंजिल को तू !!

क्या उम्मीद करूँ

क्या उम्मीद करूँ !
मैं भी इस ज़माने से !!
ऐतराज़ है जिसे !
मेरे जरा से मुस्कुराने से !!

ऐ काश की आ जाये समझ !
ज़माने को साथ चलने की !!
यूँ ही नहीं पड़ती ज़रुरत !
इंसां को हाथ पकड़ने की !!

यूँ ही नहीं बदलते !
चेहरे यहाँ किसी के !!
चंद लोग ही है बदलते !
मायने यहाँ ज़िन्दगी के !!

खाली हाथ भेजा है उसने

खाली हाथ भेजा है उसने !
और खाली हाथ बुलायेगा !!
फिर गुरूर किस बात का !
जब तू मिट्टी में मिल जायेगा !!

दौलत शोहरत बंगला गाडी !
सब कुछ यही रह जायेगा !!
पुण्य कमाया जितना तूने !!
उतना ऊपर जायेगा !!

सब मुसाफिर दुनिया में !
सबको एक दिन जाना है !!
क्यों रहे इस दुनिया में तू !
जैसे यही पे रहना है !!

कल की चिंता छोड़ के !
आज में बस जी ले तू !!
क्या पता तू इस दुनिया में !
कल तू हो ना हो !!

Tuesday, October 6, 2020

फिक्रमंद खुद के रहो यारो

फिक्रमंद खुद के रहो यारो।
ये दुनिया किसी की न हुई।।
खुद से खुद का इश्क़ न हुआ गर।
तो समझो ज़िन्दगी ये बेकार गयी।।

गर मिटा भी दो खुद को कभी।
किसी को परवाह नही।।
अपनी भी कद्र कभी।
जमाने को हुई नही।।

उम्र तमाम गुजरी इस कदर।
न रूबरू हो पाए खुद से कभी।।
इल्म हुआ जब इस बात का।
उम्र तभी तमाम हुई।। 

चिरागो की लौ

चिरागो की लौ कभी !
अंधेरो से डरा नहीं करती !!
सच्चाई नज़रो में हो गर तो !
उजालो की जरूरत हुआ नहीं करती !!

यूँ तो एक चिंगारी भी !
काफी है नाबूद की लिए !!
आब नज़रो में हो गर तो !
नज़रे झुकाने से हार नहीं होती !!

कोशिश कितनी कर ले इंसां !
नज़र बचाने की भी तो !!
खुदा की नज़रो से कभी !
गुस्ताखियां कोई बचा नहीं करती !!

Monday, October 5, 2020

कुछ कमी सी है

 कुछ कमी सी है

कहने वाले तो बहुत से हैं मगर।
बिन कहे कुछ कर सके उस इंसान की।
कुछ कमी सी है।

रिश्ते तो बहुत से हैं मगर।
में हूँ ना कह सके उस दिलदार कि।
कुछ कमी सी है।

दोस्त तो बहुत से हैं मगर।
जो साथ निभा सके उस यार की।
कुछ कमी सी है।

तक़दीर ने बहुत दिया शिकवा नही।
ना जाने क्यों फिर भी ज़िन्दगी में।
कुछ कमी सी है।

गुमान ना हो किसी चीज़ पे

गुमान ना हो किसी चीज़ पे।
जो आज है वो कल नही।।
आज है तेरा हक़ जो इसपे।
कल भी हो ये मुमकिन नही।।

मंजूर नही उसको।
राहे आसान जिंदगी की।।
जो चल पडे राहो पे तो।
न मिले मंजिल ये मुमकिन नही।।

आज हम तो कल और कोई।
होगा तो तेरे साथ कोई।।
हर वक़्त हम साथ रहे।
अब ये भी मुमकिन तो नही।। 

किश्तों में कट रही ज़िन्दगी

किश्तों में कट रही ज़िन्दगी।
कागज़ के टुकड़े से ये पल।।
स्याही भी खत्म हो रही।
क्या लिखूं इसपे कल।।

कशमकश में बीत रही ज़िन्दगी।
आज को कल में बदलते हुए।।
इंतज़ार उस दिन का जो होगा मेरा।
ज़िन्दगी को बस में करते हुए।।

काश कि थम जा तू ऐ जिंदगी।
फुरसत से करेंगे दीदार तेरा।।
आज न हो सकूँगा रूबरू तुझसे।
आऊंगा फिर ना करना इंतज़ार मेरा।। 

Sunday, October 4, 2020

दे न सका रोशनाई जरा सी

दे न सका रोशनाई जरा सी !
नवाज़िश की जिसे परवाह नहीं !!
इंसान नहीं वह पत्थर है !
दिल में जिसके प्यार नहीं !!
इल्म नहीं उन बन्दों को !
जो दौलत से इत्तिहाद करे !!
हज़् न कबूल खुदा करे !
जो खुदा को कभी न याद करे !!
इन् फरेब पसंद इंसानो से !
ईमान की कोई उम्मीद नहीं !!
नहीं गवारा इक लफ्ज भी उनका !
नीयत जिनकी साफ़ नहीं !! 

इंतज़ार फरिश्तो का

ना कर इंतज़ार फरिश्तो का ऐ दोस्त !
भरोसा खुद पे करके तो देख !!
कौन कहता है न लग सकती आग पानी में !
जिगर में वह आग पैदा करके तो देख !
वजूद न मिटा सका उसका कोई !
बंदगी की है खुदा की जिसने !!
हर मर्ज की दवा रखता हूँ ऐ ज़िन्दगी !
एक बार कोई मर्ज देके तो देख !!
खुदा को इंसान बनते कई बार देखा है !
एक बार तू इंसान तो बनके देख !!
कौन कहता है की तू सिकंदर नहीं हो सकता !
एक बार वह जूनून ला के तो देख !!
ना जी हर पल खुदगर्जी में ऐ दोस्त !
दुसरो को ख़ुशी बाट तो देख !!
कौन कहता न खुदा आ सकेगा रूबरू !
एक बार तबियत से बुला के तो देख !! 

रुकी रुकी हुयी सी ज़िन्दगी

रुकी रुकी हुयी सी ज़िन्दगी !
रफ़्तार पकड़ चली है !!
दो वक़्त की रोटी ही नहीं !
कवायतें अभी और भी हैं !!
एक पल का सकूं तो न मिला !
शिकायते अभी और भी हैं !!

कर न सका गर इत्तिका तो !
उंगली सब उठाते हैं !!
न कर पाने की वजह भी वह !
पूछ नहीं पाते हैं !!

कुछ तो मजबूरियां रही होंगी !
ऐसे ना नाराजी कोई दिखाइए !!
पर सुनने को मजबूरियों भी तो !
एक अदद दिल चाहिए !!

जब तलक रही जरूरत !
ज़िक्र हमारा होता रहा !!
अब हमारे आने पे !
पूछते हैं आना कैसे हुआ !! 

आजमाइश

आजमाइश रिश्तो की न कर ऐ दोस्त
व्यस्त तू भी है व्यस्त में भी
न कर हिसाब मेरी खुशियों का
मस्त तू भी है मस्त में भी

कर रहा है जो तू तमाम कोशिशें
ज़माने को दिखाने की
मन ही मन जानता तो तू भी है
रह जाएँगी वह सब यहीं

न है मेरे पास दौलतों का अम्बार
कमाया है फिर भी मैंने कुछ ख़ास
बस यही काफी है मेरे लिए ऐ दोस्त
हंस तू भी रहा है और में भी

इश्क़ है मुझे तुझसे ऐ जिंदगी

इश्क़ है मुझे तुझसे ऐ जिंदगी  कम है तू किसी से रश्क के लिए  ना दे रब मुझे दौलत या शोहरत सुकूने जिंदगी चाहिए मुझे अपने लिए  क्या मांगू किसी की...